- ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के राजदूत और तीन अधिकारियों को देश से बाहर निकालने का आदेश दिया है.
- ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के खिलाफ यहूदी विरोधी आगजनी हमलों के आरोप में कड़ा राजनयिक कदम उठाया है.
- "अक्टूबर और दिसंबर 2024 में सिडनी और मेलबर्न में हुए दो यहूदी विरोधी आगजनी हमलों में ईरान का हाथ था"
ऑस्ट्रेलिया ने ईरान के खिलाफ एक बड़ा एक्शन लेते हुए उसके राजदूत को निष्कासित कर दिया है. यानी उन्हें देश से बाहर निकाल दिया है. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से यह बड़ा कदम है क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार किसी देश के राजदूत को निष्कासित किया है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने ईरान से भी अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और तेहरान में अपने दूतावास को बंद कर दिया है, जो 1968 में खुला था.
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर ऑस्ट्रेलिया ने इतना कठोर कदम क्यों उठाया है.
कब हुए थे यह हमले?
प्रधान मंत्री अल्बानीज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अक्टूबर 2024 में सिडनी के बौंडी उपनगर (सबअर्ब) में मौजूद कोषेर कैफे में आग लगाने के पीछे तेहरान (ईरान की राजधानी) का ही हाथ था. उन्होंने खुफिया एजेंसी के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा, तेहरान ने ही दिसंबर 2024 में मेलबर्न में एडास इजराइल सिनेगॉग पर एक बड़े आगजनी हमले का भी निर्देश दिया था.
दोनों हमलों में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है.
पीएम अल्बानीज ने कहा, "ये ऑस्ट्रेलियाई धरती पर एक विदेशी देश द्वारा की गई आक्रामकता के असाधारण और खतरनाक काम थे… वे सामाजिक एकता को कमजोर करने और हमारे समुदाय में कलह पैदा करने के प्रयास थे."
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ ऑस्ट्रेलिया ने ईरानी राजदूत अहमद सादेघी को "पर्सोना नॉन ग्रेटा" घोषित किया. उन्हें और तीन अन्य अधिकारियों को सात दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है.
ऑस्ट्रेलिया के इस कदम का क्या असर होगा?
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ लेवी वेस्ट ने कहा कि ईरान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की कार्रवाई का कोई भी बड़ा असर शायद ही होगा क्योंकि पहले से ही दोनों देशों के संबंध सीमित हैं. उन्होंने एएफपी को बताया, "मिडिल ईस्ट के अन्य देशों की तरह ईरान के साथ हमारे कोई रक्षा या खुफिया संबंध नहीं हैं."
ऑस्ट्रेलिया में मौजूद इजरायल के दूतावास ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा गया, "यह एक ऐसा कदम है जिसकी हम लंबे समय से वकालत कर रहे हैं."
वहीं ऑस्ट्रेलिया में मौजूद ईरान के दूतावास ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया.