- शुक्रवार की नमाज के बाद ढाका यूनिवर्सिटी में विशाल जुलूस निकाला गया और भारत विरोधी नारे लगाए गए
- प्रदर्शन की अगुआई इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी के समर्थक कर रहे थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी
- ढाका यूनिवर्सिटी में प्रोटेस्ट इसलिए अहम है क्योंकि 2024 में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत यहीं से हुई थी
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में फिर से प्रदर्शन भड़क उठे हैं. फरवरी में होने वाले आम चुनाव से पहले हालात तनावपूर्ण होते जा रहे हैं. NDTV के रिपोर्टर अंकित त्यागी ने ग्राउंड जीरो से खबर देते हुए बताया कि शुक्रवार की नमाज के बाद ढाका यूनिवर्सिटी में विशाल जुलूस निकाला गया. इस दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए.
हादी समर्थकों ने निकाला जुलूस
इस विरोध प्रदर्शन की अगुआई इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी के समर्थक कर रहे थे. हादी को 12 दिसंबर को ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी. सिंगापुर में इलाज के दौरान 18 दिसंबर को हादी की मौत के बाद से ही बांग्लादेश हिंसा की आग में सुलग रहा है. देश में अशांति की नई लहर पैदा हो गई है.
मैं हादी हूं... के नारे लगाए गए
ढाका यूनिवर्सिटी में मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी हादी के हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग कर रहे थे. उन्होंने 'मैं हादी हूं' के नारे भी लगाए. प्रदर्शनकारियों का एक गुट दावा कर रहा है कि हादी के हत्यारे वारदात को अंजाम देने के बाद सीमा पार करके भारत भाग गए थे. बांग्लादेश सरकार ने आरोपियों को पकड़ने में मदद मांगी, लेकिन भारत ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि हमलावरों का भारत से कोई संबंध नहीं है.
इसी यूनिवर्सिटी से शुरु हुए थे 2024 में प्रदर्शन
ढाका यूनिवर्सिटी में यह विरोध प्रदर्शन इसलिए अहम है क्योंकि 2024 में शेख हसीना का तख्तापलट करने वाले प्रदर्शनों की शुरुआत इसी विश्वविद्यालय से हुई थी. गुरुवार को यूनिवर्सिटी की मधुर कैंटीन में भी तोड़फोड़ की गई थी. उपद्रवियों ने यहां खिड़कियां तोड़ दीं और दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिख दिए. एक स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर बनी इस कैंटीन की दीवारों पर इस वक्त चारों तरफ बायकॉट के नारे लिखे हुए हैं.
ऐतिहासिक कैंटीन को बनाया निशाना
पत्रकार मोहम्मद कमरुज्जमां ने बताया कि यूनिवर्सिटी के यूनियन ऑफिस के सामने बनी इस मधुर कैंटीन को बांग्लादेश की राजनीति और छात्र आंदोलनों का बौद्धिक केंद्र माना जाता रहा है. इस पर हमले के पीछे प्रदर्शनकारियों का मकसद शायद लोगों का ध्यान खींचा रहा होगा. कैंटीन के एक स्टाफ ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एक व्यक्ति अंदर आया था और बिना कुछ कहे चिल्लाते हुए मेज-कुर्सियां फेंकने लगा. बाद में छात्रों ने उसे पकड़कर सिक्योरिटी टीम को सौंप दिया.
हिंसा की गवाही दे रही अखबार की जली इमारत
प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ यूनिवर्सिटी ही नहीं बल्कि हादी की मौत के बाद मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया था. ढाका के मशहूर अखबार 'प्रथम आलो' के दफ्तर में भीड़ ने आग लगा दी थी. अखबार की जली हुई इमारतें उस हमले की गवाही देती दिख रही हैं. बांग्लादेश में फिर से हिंसा की आशंका को देखते हुए बड़े पैमाने पर रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के जवान तैनात किए गए हैं.













