- बांग्लादेश की यूनुस सरकार की राजनीतिक अस्थिरता और बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए चौतरफा आलोचना हो रही है
- यूनुस बांग्लादेश की विदेश नीति को ताक पर रखकर भारत से संबंधों की कीमत पर PAK से मेलजोल बढ़ा रहे हैं
- भारत विरोधी आतंकियों की रिहाई, पूर्वोत्तर पर टिप्पणी, घरेलू घटनाओं के लिए भारत को दोष देकर तूल दे रही है
बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद सत्ता संभालने वाले मोहम्मद यूनुस अब अपनों के ही निशाने पर हैं. राजनीतिक अस्थिरता, बिगड़ी कानून-व्यवस्था, अल्पसंख्यक हिंदूओं पर हमलों के बीच मुख्य सलाहकार यूनुस की अंतरिम सरकार चौतरफा घिरती दिख रही है. यूनुस सरकार भारत विरोधी नैरेटिव और पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियों का सहारा लेकर घरेलू मोर्चे पर अपनी विफलता और कमियों को छिपाने का प्रयास करती दिख रही है.
अपनों के ही निशाने पर यूनुस सरकार
शेख हसीना सरकार के दौरान मुख्य विपक्षी दल रही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने देश में बिगड़ी कानून-व्यवस्था के लिए मोहम्मद यूनुस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा है कि सरकार की नाकामी के कारण इस संक्रमण काल में बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था चरमरा गई है. हमें उम्मीद थी कि प्रोफेसर यूनुस की सरकार अपनी काबिलियत साबित करेगी और कम से कम इन कुछ महीनों में देश को कुशलता से चलाएगी. आलमगीर ने आगे कहा कि 12 फरवरी 2026 को चुनाव की घोषणा के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं, लेकिन चुनाव के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना होगा. इसके लिए उन्हें ठोस कदम उठाने होंगे. हम उम्मीद करते हैं कि वो इस पर ध्यान देंगे ताकि अनुकूल माहौल बन सके.
भारत-बांग्लादेश संबंधों में ऐतिहासिक गिरावट
यूनुस शासन में भारत और बांग्लादेश के संबंधों में भारी गिरावट आई है. यूनुस ने बांग्लादेश की पुरानी विदेश नीति को ताक पर रखकर भारत के साथ ऐतिहासिक संबंधों की कीमत पर पाकिस्तान से मेलजोल बढ़ाया है. अगस्त 2024 में सत्ता संभालने के बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक स्तर तक गिर गए हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के इशारे पर बांग्लादेश की विदेश नीति चल रही है.
मंगलवार को बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने तलब किया. नई दिल्ली और कोलकाता सहित भारत में बांग्लादेशी मिशनों पर प्रदर्शनों के मद्देनजर उन्हें समन किया गया. 10 दिन में यह दूसरी बार था, जब भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया गया. यूनुस के कार्यकाल में भारतीय उच्चायुक्त को कम से कम छह बार तलब किया जा चुका है, जो भारत को उकसाने वाले इरादे को दर्शाता है.
भारत की कीमत पर पाकिस्तान से नजदीकी
पदभार संभालने के बाद से ही मोहम्मद यूनुस ने आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया है. वह पाकिस्तान से व्यापारिक, सांस्कृति और युवाओं व नागरिकों के बीच सहयोग बढ़ाने की पैरवी करते रहे हैं. उन्होंने शीर्ष पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को बांग्लादेश आमंत्रित किया. कई पूर्व राजनयिकों ने बांग्लादेश में भारत विरोधी बयानों की मौजूदा लहर के पीछे पाकिस्तानी हाथ होने का संकेत दिया है.
ढाका में भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमला
बांग्लादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के बीच भारत को चटगांव, राजशाही और खुलना में अपने वीजा आवेदन केंद्रों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ा है. यह कदम कट्टरपंथी इस्लामपंथियों ने भारतीय उच्चायोग के पास मार्च निकालने के बाद लेना पड़ा. भारत विरोधी तत्वों पर लगाम लगाने के भारत के बार-बार के अनुरोधों को यूनुस सरकार खारिज करती रही है. भारत को सेवन सिस्टर्स (पूर्वोत्तर) से अलग करने की धमकी देने वाले छात्र नेता का मुद्दा उठाया गया तो बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने उस छात्र नेता से पल्ला झाड़ लिया.













