नेपाल में राजतंत्र वापसी की मांग के बीच ये Gen Z युवराज क्यों चर्चा में, जानें हृदयेंद्र शाह की कहानी

हृदयेंद्र शाह का जन्म 2001 में शाही परिवार में हुए खूनी नरसंहार के बाद हुआ. ऐसे में शाही परिवार और राजतंत्र समर्थक लोग उनमें एक नई उम्मीद देखते हैं.

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  • नेपाल में Gen Z क्रांति के बीच एक नारा जोरशोर से गूंजा- राजा आउनुपर्छ (राजा को आना चाहिए)
  • एक तबका नेपाल की कमान फिर से शाही परिवार के हाथ में सौंपने की जोरशोर से मांग उठा रहा है
  • नेपाल में Gen Z 'नव युवराज' हृदयेंद्र शाह शाही परिवार के सबसे युवा सदस्य और 'भावी राजा' हैं
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नेपाल तीन दिन की अराजकता से उबरने के दौर में है. भारत के इस पड़ोसी देश की कमान किसके हाथ में होगी, इसकी पुष्टि होना बाकी है. हालांकि एक तबके में नेपाल की कमान एक बार फिर से शाही परिवार के हाथ में सौंपने की मांग तेजी से उठ रही है. राजधानी काठमांडू में आंदोलन के दौरान एक नारा जोरशोर से गूंजा- राजा आउनुपर्छ. मतलब ‘राजा को आना चाहिए.' नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर मार्च में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है. नेपाल में जिस Gen Z ने इस बार तख्तापलट किया है, नेपाल के शाही परिवार में भी एक Gen Z युवराज हैं - हृदयेंद्र शाह. नेपाल की Gen Z क्रांति के दौर में हृदयेंद्र शाह खूब चर्चा में हैं. आइए बताते हैं इनकी पूरी कहानी-

शाही परिवार का सबसे युवा सदस्य

हृदयेंद्र शाह नेपाली शाही परिवार के सबसे युवा पुरुष सदस्य हैं. उन्हें नव युवराज की उपाधि प्राप्त है. हालांकि 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद उनकी ये उपाधि भी अब अतीत का हिस्सा बन चुकी है. हृदयेंद्र का जन्म 2001 में शाही परिवार में हुए खूनी नरसंहार के बाद हुआ. ऐसे में शाही परिवार और राजतंत्र समर्थक लोग उनमें एक नई उम्मीद देखते हैं. 

ज्ञानेंद्र ने घोषित किया था भावी राजा

हृदयेंद्र शाह को बचपन में ही नेपाली शाही परिवार का उत्तराधिकारी मान लिया गया था. 2008 में नेपाल के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने और करीब 240 साल पुरानी राजशाही खत्म होने से पहले राजा ज्ञानेंद्र ने हृदयेंद्र को भावी राजा घोषित कर दिया था. हालांकि इस पर सवाल भी उठे थे क्योंकि ज्ञानेंद्र ने पारस को दरकिनार करके उनके बेटे हृदयेंद्र को वारिस बनाया था. ऐसा संभवतः पारस की खराब इमेज को देखते हुए किया गया था. 

कौन हैं हृदयेंद्र शाह?

  • पूरा नाम - हृदयेंद्र बीर बिक्रम शाह देव 
  • जन्म - 30 जून 2002, काठमांडू के शाही नारायणहिती पैलेस में
  • माता-पिता - पूर्व प्रिंस पारस शाह और हिमानी शाह
  • दादा-दादी - पूर्व राजा ज्ञानेंद्र और रानी कोमल
  • भाई-बहन - दो बहनें (पूर्णिका शाह और कृतिका शाह)

अमेरिका में पढ़े, विदेश में रहे

हृदयेंद्र ने काठमांडु के लिंकन स्कूल से पढ़ाई के बाद अमेरिका के बोस्टन से मास्टर्स कर रहे हैं. उनका काफी समय सिंगापुर और थाईलैंड में भी बीता है. ये फैसला संभवतः सुरक्षा और नेपाली राजनीति से उन्हें दूर रखने के लिहाज से लिया गया. हृदयेंद्र नेपाल में सार्वजनिक रूप से कम ही नजर आते हैं. हालांकि इंस्टा पर एक्टिव रहते हैं. बताया जाता है कि पिछली बार कुछ महीने पहले अपनी मां हिमानी के साथ उनके हिमानी ट्रस्ट के कार्यक्रम में दिखे थे. 

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह कहां हैं?

हृदयेंद्र शाह के दादा और 2008 में राजशाही खत्म होने से पहले राजा की गद्दी पर बैठे ज्ञानेंद्र फिलहाल एक आम नागरिक की तरह नेपाल में जिंदगी बिता रहे हैं. उनका मुख्य आवास काठमांडू के निर्मल निवास में है. हालांकि बताया जाता है कि 2024 से ही वह शहर के बाहरी इलाके की नागार्जुन पहाड़ियों के एक फार्म हाउस में ज्यादा वक्त बिताते हैं. इस साल मार्च में राजशाही के समर्थक में आंदोलन के दौरान ज्ञानेंद्र शाह पोखरा से काठमांडू आए थे, तब हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया था. 

नेपाली शाही परिवार के सदस्य हृदयेंद्र शाह युवा हैं, स्मार्ट हैं, विनम्र हैं, विदेश में पढ़े-लिखे हैं, राजनीतिक विवादों से दूर रहते हैं. कुछ लोग उनमें नेपाल के लोकप्रिय राजा बीरेंद्र की छवि देखते हैं और शाही विरासत और आधुनिकता का मेल नजर आता है. यही सब खूबियां लोगों को उनमें नेपाल का भावी राजा देखने के लिए प्रेरित करती हैं. 

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