पेंटागन भारत को न केवल हथियार और सैन्य साजोसामान मुहैया कराएगा, साथ ही उसे अपना रक्षा उद्योग की बुनियाद तैयार करने में भी मदद करेगा. पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ सैन्य एवं तकनीकी सहयोग को प्रगाढ़ करने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिकी सांसदों के बीच अधिकारी ने कहा कि 2016 में अमेरिका ने भारत को एक ‘प्रबल रक्षा साझेदार' का दर्जा दिया था. इसके तहत अमेरिका अपने निकटतम सहयोगियों और साझेदारों के तौर पर भारत के साथ टेक्नोलॉजी साझा करने को आसान बनाने की दिशा में काम करना जारी रखेगा.हिंद-प्रशांत सुरक्षा से जुड़े मामलों के अमेरिका के कार्यकारी सहायक रक्षा सचिव डेविड हेल्वे ने ‘हाउस आर्मड सर्विज कमेटी' में हिंद-प्रशांत पर की सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका का एक सच्चा साझेदार और बढ़ता साझेदार है. हेल्वे ने कहा कि हम भारत के साथ सैन्य एवं तकनीकी सहयोग को गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि उन्हें हथियार तथा साजो-सामान उपलब्ध कराने पर आधारित है, ताकि हम अंतर-बलों और क्षमताओं का निर्माण कर सकें. भारत का रक्षा औद्योगिक आधार विकसित करने में उनकी मदद कर सकें. इसका मकसद यह है कि भारत अपनी जरूरतों के हिसाब से साजो-सामान का उत्पादन कर सके और हमारे साथ तथा क्षेत्र के अन्य देशों के साथ मिल कर काम कर सके.
लिहाजा भारत को अमेरिका ने प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया है. अमेरिका के रक्षा मंत्री जनरल लॉयड जे ऑस्टिन की भारत यात्रा से पहले हेल्वे ने यह बयान दिया है. ऑस्टिन 19-21 मार्च के दौरान भारत की यात्रा करेंगे. दोनों पक्ष स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाये रखने के तरीकों और रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे. ऑस्टिन भारत यात्रा के दौरान अमेरिका और भारत की प्रमुख रक्षा साझेदारी को गहरा करने और दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अपने समकक्ष राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे.