गाजा को लेकर अब अमेरिका बनाम अरब, सऊदी अरब और यूएई क्या अलग राह पर?

अमेरिका भी चाहता है कि हमास का गाजा में कोई दखल न हो. हमास ने भी मिस्र की इस योजना का समर्थन किया है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि अरब जगत के कितने देश इस बात के समर्थन में हैं.

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इजरायल के साथ युद्ध में तबाह गाजा के पुनर्निमाण के लिए अरब जगत के नेताओं ने एक बैठक की. इस बैठक में मिस्र ने एक योजना पेश की. इस योजना को अरब के नेताओं ने समर्थन किया है. मिस्र की यह योजना 53 अरब डॉलर की है. इसके पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा. इसमें गाजा वासियों को घर बनाकर दिए जाएंगे. इसके अलावा इस योजना में अस्पताल, पार्क और हवाई अड्डा बनाने की भी बात कही गई है. इस योजना के तहत गाजा पट्टी के लोग गाजा में ही रहेंगे. उन्हें गाजा छोड़कर कहीं और जाने की जरूरत नहीं रहेगी. मिस्र की इस योजना को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की योजना का जवाब माना जा रहा है. वो गाजा को अपने अधिकार में लेने और गाजा वासियों को कहीं और बसाने की बात कर रहे हैं. इस योजना की खास बात यह है कि गाजा पर हमास का नियंत्रण खत्म हो जाएगा. हमास ने भी मिस्र की योजना का समर्थन किया है. अमेरिका ने मिस्र की इस योजना को खारिज कर दिया है. 

सऊदी अरब-यूएई फलस्तीन पर गंभीर नहीं

काहिरा में मंगलवार को हुई अरब जगत की बैठक में अधिकांश देशों के अमीरों और प्रमुखों ने भाग लिया.  बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस भी शामिल हुए.इस बैठक में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान शामिल नहीं हुए .इन दोनों देशों के विदेश मंत्री बैठक में शामिल हुए. इससे इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि गाजा को लेकर अरब जगत में एक राय नहीं है और सऊदी अरब और यूएई फलस्तीन को लेकर बहुत गंभीर नहीं हैं. यूएई ने अब्राह्म अकार्ड पर दस्तखत भी किए हैं. ऐसे में उसकी स्थिति को समझा जा सकता है.

जनता को संतुष्ट करने की कोशिश

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वेस्ट एशिया स्टडीज में अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉक्टर अजीजुर रहमान मिस्र की योजना के सवाल पर कहते हैं कि दरअसल अरब जगत ने अपनी-अपनी जनता को संतुष्ट करने की कोशिश की है. वो कहते हैं कि अरब की जनता में फीलस्तीन को लेकर भावनात्मक लगाव है, अगर अरब जगत इस तरह का प्रस्ताव लेकर नहीं आता तो उसे अपनी जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता. वो कहते हैं कि अगर थोड़ी देर के लिए यह मान लिया जाए कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण कर भी लेता है, उसमें भी अरब जगत का नुकसान है. अमेरिका उनके सिर पर आकर बैठ जाता, इसलिए उन्होंने इस तरह का प्रस्ताव लाना बेहतर समझा. 

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प्रस्ताव लागू किया जा सकता है

अजीजुर रहमान कहते हैं कि मिस्र के इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है. वो कहते हैं कि मिस्र की योजना में यह शामिल है कि पुनर्निमाण के बाद गाजा के प्रशासन में हमास का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, कोई नया नेतृत्व उसका प्रशासन संभालेगा. वो कहते हैं कि इजरायल भी यह चाहता है कि गाजा में हमास की कोई भूमिका न हो. अमेरिका भी चाहता है कि हमास का गाजा में कोई दखल न हो. हमास ने भी मिस्र की इस योजना का समर्थन किया है. लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि अरब जगत के कितने देश इस बात के समर्थन में हैं कि गाजा से हमास का प्रशासनिक नियंत्रण खत्म हो जाए, क्योंकि हमास गाजा में एक जनता की ओर से चुनी हुई सरकार चला रहा था. 

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मिस्र ने 53 अरब डॉलर की योजना पेश की

मिस्र ने 53 अरब डॉलर की योजना पेश तो कर दी है. लेकिन इतना पैसा आएगा कहां से. मिस्र खुद इतना पैदा देने की स्थिति में नहीं है. इस योजना सऊदी अरब और यूएई की समर्थन के बिना जमीन पर उतार पाना संभव नहीं हैं.अरब जगत में सऊदी अरब और यूएई अमेरिका के सबसे बड़े समर्थक हैं. ऐसे क्या यह संभव है कि ये दोनों देश अमेरिका को नाराज कर इस योजना का समर्थन करें. वहीं अरब जगत के कई देश खुद युद्ध में बुरी तरह से बदहाल हो चुके हैं. वो इस योजना में कितना का योगदान कर पाएंगे.ऐसे में हमें गाजा के भविष्य के लिए और इंतजार करना होगा कि आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति कौन सा मोड़ लेती है. 

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