भारत और चीन ने एक महीने से भी कम समय पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की वापसी के बाद से संबंधों को सुधारने के लिए अचानक उत्साह दिखाया है. बता दें कि दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच संबंध चार साल से भी वक्त पहले लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद से खराब चल रहे थे. हालांकि, नवंबर से ही स्थिति में बदलाव आया है और अब एक बार फिर दोनों देश चीजों को ठीक करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और बीते वक्त की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.
नई दिल्ली और बीजिंग अच्छी तरह समझते हैं कि एशिया में स्थायी शांति के लिए दोनों एशियाई दिग्गजों को आगे आना होगा. ऐसे में सीमा मुद्दे का समाधान खोजने से बेहतर और कोई शुरुआत नहीं हो सकती और इसलिए लगता है कि दोनों पक्षों ने इसे अपनी प्राथमिकता बना लिया है.
बता दें कि नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बुधवार को मुलाकात करेंगे और दोनों के बीच सीमा को मुद्दे पर हाई लेवल मीटिंग हो सकती है. हालांकि, इस पर दिल्ली की ओर से अभी तक कोई कंफर्मेशन नहीं दिया गया है और बीजिंग के विदेश मंत्रालय से भी कोई स्टेटमेंट जारी नहीं किया गया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने सोमवार को एक बयान में कहा, "चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बुधवार को बीजिंग में चीन-भारत सीमा प्रश्न पर चर्चा करने के लिए मुलाकात करेंगे." चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने एक्सटीवी पर कहा, "जैसा कि चीन और भारत द्वारा सहमति व्यक्त की गई है, वांग यी और अजीत डोभाल 18 दिसंबर को बीजिंग में चीन-भारत सीमा प्रश्न के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक आयोजित करेंगे."
पिछले पांच सालों में यह इस तरह की पहली मीटिंग होगी - आखिरी बार इस तरह की मीटिंग नई दिल्ली में दिसंबर 2019 में हुई थी.