- OpenAI ने 5 करोड़ सैलरी वाली हेड ऑफ प्रिपेयर्डनेस पद की नौकरी निकाली, जिसका उद्देश्य AI के खतरों को रोकना है
- इस पद पर नियुक्त व्यक्ति को AI के संभावित खतरों की निगरानी, थ्रेट मॉडल बनाना और साइबर हमलों को रोकना होगा
- AI की सोचने की क्षमता इसे खतरनाक बनाती है, विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में मानवता के लिए खतरा बन सकता है
आज की दुनिया ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI पर पूरी तरह निर्भर होती जा रही है. क्या पढ़ाई और क्या दवाई, जिंदगी का शायद ही ऐसा कोई ऐसा पहलू है, जहां यह AI काम न आ रहा हो. लेकिन वो कहते हैं न कि विज्ञान दो धारी तलवार है- टेक्नोलॉजी जितनी अच्छी होती है, उतनी ही इंसानियत के खतरनाक भी. अच्छा है या खराब यह बात पूरी तरह इसपर निर्भर करती है कि उस टेक्नोलॉजी का कैसे इस्तेमाल किया जाता है. AI के साथ परेशानी यह है कि यह फायदेमंद है या खतरनाक, यह बात सिर्फ उसको इस्तेमाल करने वाले इंसानों पर निर्भर नहीं करता. AI ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें सोचने की अपनी क्षमता होती है और यही बात इसे दूसरे टेक्नोलॉजी से अलग बनाती है. अब सवाल सिर्फ इसका नहीं रह गया है कि AI हम इंसानों की जॉब खा जाएगा. सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर AI ने इंसानों को ही अपना दुश्मन मान लिया तो क्या होगा.
अब इसी AI से दुनिया को बचाने के लिए 5 करोड़ की नौकरी निकाली गई है. AI चैटबॉट ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI सालाना 5 करोड़ की एक नौकरी लेकर आई है. इस जॉब को दुनिया का सबसे मुश्किल जॉब माना जा रहा है. OpenAI में "तैयारी का प्रमुख" (head of preparedness) नाम से यह पद निकाला गया है और जो भी इस पद को संभालेगा उसे इंसानियत को AI से बचाने का काम करना होगा.
इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि आखिर इस पद पर बैठने वाले को क्या कुछ करना होगा. आखिर AI को इतना खतरनाक क्यों माना जा रहा है कि 5 करोड़ की नौकरी निकालने की जरूरत पड़ गई है.
सवाल 1- OpenAI में 5 करोड़ की नौकरी में क्या करना होगा?
जवाब- OpenAI ने 'हेड ऑफ प्रिपेयर्डनेस' पद के लिए जॉब निकाला है. इस पद पर जो भी बैठेगा उसका मुख्य काम AI से जुड़ी उन चीजों को ट्रैक करना होगा, जो गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं. इसके अलावा उसे 'थ्रेट मॉडल्स' बनाना होगा, जो समय रहते बता सके कि AI कब खतरनाक हो सकता है. साथ ही यह खोजना होगा कि AI को कैसे कंट्रोल में रखा जा सकता है. लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर AI से जो असर पड़ेगा, उसे मॉनिटर करना होगा. AI के जरिए होने वाले सायबर हमलों को रोकने का काम भी करना होगा.
सवाल 2- OpenAI को यह नौकरी क्यों निकालनी पड़ी?
जवाब- आज के वक्त में OpenAI इस फिल्ड की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में शुमार है. उसके बनाए AI चैटबॉट ChatGPT ने हम इंसानों की बहुत मदद की है लेकिन साथ ही उसपर कई गंभीर आरोप हैं. आरोप है कि ChatGPT इंसानों को बदल रहा है, वो उसे गलत रास्ते पर भी ले जा रहा. हाल ही में एक मामला अमेरिका में आया था जहां आरोप है कि ChatGPT ने एक 56 साल के बेटे को इतना डरा दिया, इतना उकसा दिया कि उसने पहले अपनी मां की हत्या की और फिर खुद सुसाइड कर लिया. डरावनी बात यह है कि ChatGPT और सुसाइड या हत्या के कनेक्शन का यह अकेला मामला नहीं है. ChatGPT की कंपनी सात अन्य मुकदमे भी लड़ रही है, जिसमें दावा किया गया है कि ChatGPT ने लोगों को सुसाइड और जानलेवा भ्रम की ओर धकेल दिया, जबकि उन्हें पहले से कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या नहीं थी.
अब कंपनी चाहती है कि AI के इन नकारात्मक पक्ष पर काम किया जाए. सवाल सिर्फ मेंटल हेल्थ का नहीं है. AI की खुद की सोचने की क्षमता भी उसे खतरनाक बनाती है. आपने कई ऐसी फिल्म देखी होगी जिसमें AI इंसानों को खुद का दुश्मन मान लेता है और खुद को बचाने के लिए इंसानों के खिलाफ काम करने लगता है. जैसे- जैसे AI वक्त के साथ डेवलप हो रहा है, यह डर और मजबूत होता जा रहा है.
सवाल 3- क्या इंसानों का दुश्मन बन सकता है AI?
जवाब- आज AI टेक्नोलॉजी के जोखिमों के बारे में AI इंडस्ट्री के अंदर से ही चेतावनी की आवाजें उठ रही हैं. माइक्रोसॉफ्ट AI के CEO मुस्तफा सुलेमान ने बीबीसी रेडियो 4 के टुडे कार्यक्रम में कहा: "मैं ईमानदारी से सोचता हूं कि यदि आप इस समय थोड़ा भी भयभीत नहीं हैं, तो दरअसल आप ध्यान नहीं दे रहे हैं." वहीं गूगल डीपमाइंड के नोबेल पुरस्कार विजेता को-फाउंडर डेमिस हसाबिस ने भी इस महीने इन जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि AI इस तरह से भी पटरी से उतर सकता है कि वो मानवता को ही नुकसान पहुंचाने लगे.
सवाल 4- इंसानों के साफ हो जाने का खतरा क्यों जताया जा रहा है?
जवाब- जो सबसे मजबूत है, वो राज करता है- यह एक तथ्य है. ऐसा पहले भी कई बार हुआ है कि जो प्रजातियों कम बुद्धिमान थीं, उन्हें अधिक बुद्धिमान प्रजातियों ने नष्ट कर दिया. खुद हम इंसानों ने पहले ही पृथ्वी पर कई प्रजातियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिटा दिया है. अगर कल इंसान कम बुद्धिमान प्रजाति बन जाएगा तो इंसानों के साथ भी यही होने का डर है. जिस रफ्तार से AI की प्रगति हो रही, कोई दो राय नहीं कि AI हम इंसानों से भी ज्यादा बुद्धिमान हो जाएगा. पेचीदा बात यह है कि जो प्रजातियां नष्ट होने वाली होती हैं, उन्हें अक्सर यह पता नहीं होता कि यह क्यों और कैसे हुआ.
सवाल 5- इंसानों के लिए संभलने का वक्त खत्म क्यों होता जा रहा?
जवाब- Google DeepMind के एक नए रिसर्च पेपर में भविष्यवाणी की गई है कि AI में इंसानों जितना दिमाग, जिसे लोकप्रिय रूप से आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) कहा जाता है, 2030 तक आ सकता है और यह "मानवता को स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है". इस रिसर्च में कहा गया है, "AGI के व्यापक संभावित प्रभाव को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि यह भी गंभीर नुकसान का संभावित खतरा पैदा कर सकता है."
फरवरी 2025 में, DeepMind के CEO डेमिस हसाबिस ने भी कहा कि AGI, जो इंसानों जितना ही स्मार्ट या होशियार है, अगले पांच या 10 वर्षों में उभरना शुरू हो जाएगा. उन्होंने AGI के ग्रोथ की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे एक छत्र संगठन की भी वकालत की.
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