Agroterrorism Explained: आतंकवाद में सिर्फ लोगों को नहीं मारा जाता, आतंकवाद का एक रूप ऐसा भी है जिसमें फसलों को भी मारा जाता है. कुछ ऐसे ही आतंकवाद का आरोप अमेरिका के अंदर चीन के दो वैज्ञानिकों पर लगा है. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने मंगलवार, 3 जून को कहा कि दो चीनी वैज्ञानिकों पर कथित तौर पर अमेरिका में एक जहरीले फंगस (कवक) की तस्करी करने का आरोप लगाया गया है. दोनों कपल हैं और उन्होंने उस जहरीले फंगस पर एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने की योजना बनाई थी.
मिशिगन के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने एक बयान में कहा, 33 साल के युनकिंग जियान और 34 साल के जुनयोंग लियू पर साजिश, तस्करी, झूठे बयान और वीजा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. जियान को अमेरिका की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जबकि लियू का ठिकाना अज्ञात है, वो पकड़ के बाहर है.
एग्रो टेररिज्म क्या है?
जब कृषि, कृषि उद्योग और खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए हथियार के रूप में जैविक, रासायनिक या रेडियो लॉजिकल स्टॉक का उपयोग किया जाता है तो उसे एग्रो टेररिज्म कहा जाता है. आसान भाषा में कहें तो किसी देश में अनाज संकट पैदा करने के लिए जैविक, रासायनिक या रेडियो लॉजिकल हथकंड़ों का इस्तेमाल करके जानबूझकर वहां की फसलों को किसी तरीके से बर्बाद करना ही एग्रो टेररिज्म है. किसी देश की खाद्य आपूर्ती पर ऐसे किसी भी प्रहार से वहां आर्थिक, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव होंगे. ध्यान रहे कि एग्रो टेररिज्म में सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचाया नहीं जाता बल्कि गाय से लेकर मुर्गा-बकरी तक, खाद्य आपूर्ती में अपनी भूमिका निभाने वाले जानवरों को भी निशाना बनाया जाता है.
चीन के दोनों वैज्ञानिकों पर क्या आरोप हैं?
चीन के दोनों वैज्ञानिकों ने अमेरिका के अंदर जिस फंगस की तस्करी की है उससे मनुष्यों और पशुओं में उल्टी, लीवर डैमेज और प्रजनन संबंधी दोष होते हैं. अमेरिका में दर्ज शिकायत के अनुसार, जियान और उसके ब्वॉयफ्रेंड लियू, दोनों ने पहले चीन में फंगस के उपर काम किया था.
अमेरिक के अटॉर्नी जेरोम गोर्गन जूनियर ने अमेरिका के अंदर फंगस की तस्करी को "राष्ट्रीय सुरक्षा" के लिए चिंता बताया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जियान ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में की सदस्यता ले रखी है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पिछले हफ्ते चीनी छात्रों के लिए "आक्रामक तरीके से वीजा रद्द करने" की कसम खाई थी. वहीं बीजिंग ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे "अनुचित" और "भेदभावपूर्ण" बताया था.