प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को वर्चुअली शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध पर बातचीत की. जिसके बाद अमेरिका ने कहा कि इस संकट पर "भारत अपना निर्णय खुद करेगा." लेकिन ये भी कहा कि यदि नई दिल्ली ने "चीन और रूस के बीच कड़े संबंध" देखे तो यह "स्पष्ट रूप से उनकी सोच को प्रभावित करेगा". वहीं इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत का सुझाव दिया था.
पीएम मोदी ने यूक्रेन के बुचा में नरसंहार की निंदा की. पीएम मोदी ने कहा कि बुचा शहर में निर्दोष नागरिकों की हत्या की खबर बेहद चिंताजनक थी. हमने तुरंत इसकी निंदा की और निष्पक्ष जांच की मांग की... हमने यूक्रेन में नागरिक आबादी की सुरक्षा और उन्हें मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति पर जोर दिया है. जब मैं पिछले साल सितंबर में वाशिंगटन आया था, तो आपने कहा था कि भारत-अमेरिका की साझेदारी कई वैश्विक समस्याओं के समाधान में योगदान दे सकती है.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं. दुनिया के दो सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के रूप में, हम स्वाभाविक भागीदार हैं," एक प्रेस ब्रीफिंग में, व्हाइट हाउस ने पूछा कि क्या राष्ट्रपति बाइडेन "भारत को एक पक्ष लेने के लिए जोर दिया." जिसके जवाब में कहा गया कि भारत अपने फैसले खुद करेगा, लेकिन चर्चा जारी रहेगी. व्हाइट हाउस ने नागरिकों की हत्या की निंदा करने और एक स्वतंत्र जांच के समर्थन के आह्वान पर भारत के "काफी कड़े बयान" का जिक्र किया.
अमेरिका ने कहा कि भारत ने न्यूयॉर्क में नागरिकों की हत्याओं की निंदा करते हुए, एक स्वतंत्र जांच के समर्थन में कुछ बहुत ही मजबूत बयान दिए. भारत भी यूक्रेन में मानवीय राहत सामग्री प्रदान कर रहा है. इसलिए हम भारत के साथ इन चर्चाओं को जारी रखने जा रहे हैं. मुझे लगता है कि भारत अपने फैसले खुद करेगा, लेकिन हम चर्चा जारी रखेंगे. व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि पीएम मोदी ने इस अवसर पर अपने विचार खुलकर साझा किए.
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उन्होंने ये भी कहा कि "हम जानते हैं कि रूस की चिंताएं हैं - हम जानते हैं कि भारत को रूस और चीन के बीच संबंधों के बारे के में भी चिंता है. भारत, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बहुत तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है. और जब भारत कड़े संबंधों को देखता है. रूस, यह स्पष्ट रूप से उनकी सोच को प्रभावित करने वाला है," शिखर सम्मेलन के बाद, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संवाददाताओं से कहा कि यह महत्वपूर्ण था कि "सभी देश, विशेष रूप से लाभ उठाने वाले, युद्ध को समाप्त करने के लिए पुतिन पर दबाव डालें".
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