Analysis : क्या नफा, क्या नुकसान? ब्रिटेन में सरकार बदलने से क्या पड़ेगा भारत पर असर

ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में भारत के साथ फ्री ट्रेड डील पर मुहर लगाने की बात कही थी. इसके साथ ही डिफेंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया था. दूसरी ओर, कीर स्टार्मर और लेबर पार्टी भी भारत के साथ FTA के पक्ष में नजर आते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी को ब्रिटेन के चुनाव में 410 सीटों पर जीत हासिल हुई है.
नई दिल्ली/लंदन:

ब्रिटेन में आम चुनाव 2024 (Britain General Elections 2024) के नतीजे सामने हैं. चुनाव में लेबर पार्टी ने 650 (326 बहुमत का आंकड़ा) में से अब तक 410 सीटें जीत ली हैं. ऐसे में 14 साल बाद लेबर पार्टी की सत्ता में वापसी होने जा रही है. कीर स्टार्मर (Keir Starmer)नए प्रधानमंत्री बनेंगे. जबकि ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की कंजर्वेटिव पार्टी को अब तक सिर्फ 119 सीटें ही मिली हैं. जिसके बाद सुनक ने अपनी हार स्वीकर कर ली. वह किंग चार्ल्स को अपना इस्तीफा सौंपने पहुंचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ब्रिटेन के चुनाव में ऋषि सुनक की हार का असर क्या भारत-UK फ्री ट्रेड डील (India-UK Free Trade Deal) पर पड़ेगा? भारत के लिए कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के क्या हैं मायने:-

UK Election: यूके चुनाव में लेबर पार्टी की जीत, सुनक ने कीर स्टार्मर को जीत की बधाई दी

भारत और ब्रिटेन 38.1 अरब पाउंड फ्री ट्रेड डील पर कर रहे बात
दरअसल, भारत और ब्रिटेन कुछ सालों से 38.1 अरब पाउंड (4.28 लाख करोड़ रुपये) की फ्री ट्रेड डील को फाइनल करने की कोशिश में हैं. दोनों देश अब तक FTA पर 14 दौर की बात कर चुके हैं. लेकिन पहले भारत में लंबे समय तक चले लोकसभा चुनावों और फिर ब्रिटेन में इलेक्शन की वजह से इस डील को लेकर फाइनल बातचीत रुकी हुई थी. इस डील को लेकर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. कहा जा रहा है कि फ्री ट्रेड डील पर बस कागजी कार्रवाई होनी बाकी है. इस डील से भारत को कार, कपड़े, इनटॉक्सिकेटिंग बिब्रेजेस यानी मादक पेय और मेडिकल इक्यूप्मेंट पर आपसी टैरिफ में छूट मिल सकती है.

इलेक्शन हारने के बाद ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के लोगों से माफी मांगी है. 

ऋषि सुनक की पार्टी ने FTA पर मुहर लगाने की कही थी बात
ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में भारत के साथ फ्री ट्रेड डील पर मुहर लगाने की बात कही थी. इसके साथ ही डिफेंस और टेक्नोलॉजी सेक्टर में स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को ज्यादा मजबूत करने पर जोर दिया था. दूसरी ओर, कीर स्टार्मर और लेबर पार्टी भी भारत के साथ FTA के पक्ष में नजर आते हैं. उन्होंने सरकार बनने के बाद भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है.

Advertisement

ब्रिटेन में ऋषि सुनक की हार! 10 पॉइंट्स में समझिए ब्रिटेन के चुनाव का पूरा सार

कीर स्टार्मर भी पीएम मोदी के साथ रखना चाहते हैं अच्छे रिश्ते
लेबर पार्टी के नेता और नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे कीर स्टार्मर भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वो पीएम नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं. स्टार्मर की ये पॉलिसी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन की नीतियों से काफी अलग है.

Advertisement
बीते दिनों ब्रिटेन में विपक्ष की ओर से शैडो मंत्री डेविड लैमी ने प्रचार के दौरान कहा था कि वह भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल को मैसेज देना चाहते हैं कि लेबर पार्टी FTA के लिए तैयार है.

ऐसे में अगर ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार भारत के साथ रिश्ते सुधारने को अपने एजेंडे का हिस्सा बनाती है, तो नए पीएम कीर स्टार्मर को भारत के साथ FTA पर साइन करने को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना होगा. 

Advertisement

किंग चार्ल्स ने कीर स्टार्मर को ब्रिटेन का नया PM अपॉइंट कर दिया है. 

FTA में भारतीय कामगारों को वर्क परमिट जारी करना है चुनौती
'फाइनेंशियल टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के साथ फ्री ट्रेड डील के रास्ते में बड़ी चुनौती उन भारतीय कामगारों को वर्क परमिट जारी करने की है, जो भारत से ब्रिटेन आकर बसे हैं. क्योंकि लेबर पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में कहा है कि वो सत्ता में आई, तो लीगल माइग्रेट्स यानी वैध प्रवासियों की संख्या कम करेगी. साथ ही अवैध प्रवासियों को ब्रिटेन में दाखिल होने से रोकेगी. ब्रिटेन में रह रहे बहुत से वैध भारतीय प्रवासी आईटी सेक्टर में काम करने वाले पेशेवर हैं. इन्हें वर्क परमिट मिला हुआ है.

Advertisement

ब्रिटेन में बदल गई सरकारः जानें कौन हैं स्टार्मर, जिनकी पार्टी कर रही 400 पार, बनेंगे अगले प्रधानमंत्री

कीर स्टार्मर के ब्रिटिश पीएम बनने के मायने?
कीर स्टार्मर के ब्रिटेन के नए पीएम बनने से भारत पर सकारत्मक असर पड़ने की उम्मीद की जा रही है. क्योंकि भारतीयों को खुश रखना उनकी भी जरूरत है. ऐसे में ब्रिटेन की विदेश नीति के एजेंडे का एक अहम पहलू यूनाइटेड किंगडम (UK) और भारत रिश्तों को मजबूत करना होगा. स्टार्मर ने इससे पहले कश्मीर जैसे मुद्दों पर लेबर पार्टी के रुख को स्वीकार करते हुए भारत के साथ स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप की बात भी की है. उन्होंने FTA और टेक्नोलॉजी, सिक्योरिटी, एजुकेशन और क्लाइमेट को लेकर दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया है. 

पुराने बयानों को भुलाकर बीते दिनों कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर वह भारत के साथ हैं. इससे साफ है कि लेबर पार्टी ब्रिटिश-भारतीय समुदायों के भीतर अधिक विश्वास बढ़ाना चाहती है. चुनाव से पहले स्टार्मर ने कहा था कि लेबर पार्टी बदल गई है और वह भारत विरोधी नहीं है. यह वह पार्टी नहीं है, जिसका नेतृत्व जेरेमी कॉर्बिन ने किया था और कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की बात की थी.

बता दें कि जर्मी कोर्बिन के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने 2019 में अपने एनुअल इवेंट में एक प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में घोषणा की गई थी कि कश्मीर में मानवीय संकट पैदा हो गया है. कोर्बिन के नेतृत्व में लाए गए इस प्रस्ताव में जोर दिया गया था कि कश्मीर को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए. भारत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. बाद में लेबर पार्टी में ये प्रस्ताव खारिज हो गया. तब कीर स्टार्मर ने वादा किया है कि वो भारत के साथ रिश्ते सुधारेंगे. उम्मीद है कि पीएम बनने के बाद स्टार्मर भारत और ब्रिटेन के रिश्ते को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.

ब्रिटेन के नए पीएम कीर स्टार्मर के पास कितनी संपत्ति? जानें कहां से की तगड़ी कमाई

Featured Video Of The Day
Top Headlines: India Vs Pakistan | Champions Trophy 2025 | Mahakumbh Last Weekend; अन्य बड़ी खबरें