धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स' (FATF) की 'ग्रे सूची' से पाकिसातन चार साल बाद बाहर आ सकता है. निगरानी संस्था FATF द्वारा निर्धारित कार्य योजना का अनुपालन किए जाने के बाद पाकिस्तान अंततः सूची से अपना नाम बाहर देखने के लिए तैयार है.
इस दक्षिण एशियाई राष्ट्र को 'ग्रे लिस्ट' से बाहर करने का निर्णय 18 से 21 अक्टूबर तक पेरिस में वैश्विक वित्तीय अपराध निगरानी संस्था की बैठक के दौरान लिया जा सकता है.
वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था (FATF) ने पाकिस्तान के लिए 34 बिंदुओं की कार्ययोजना तैयार की थी, जिसमें से 27 सूत्री कार्ययोजना आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित थी और 7 सूत्री कार्य योजना मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित थी.
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जून में पूर्ण सत्र के बाद अपने बयान में FATF ने कहा: " जून 2022 के पूर्ण सत्र में FATF ने प्रारंभिक शुरुआती संकल्प पास किया है कि पाकिस्तान ने 34 बिंदुओं पर अपनी दो कार्य योजनाओं को काफी हद तक पूरा कर लिया है, और यह सत्यापित करने की कोशिश की है कि पाकिस्तान में एएमएल/सीएफटी सुधारों का कार्यान्वयन शुरू हो गया है और निरंतर हो रहा है, यह सत्यापित करने के लिए साइट पर जाने की आवश्यकता है, और भविष्य में कार्यान्वयन और सुधार को बनाए रखने के लिए आवश्यक राजनीतिक प्रतिबद्धता बरकार रखे हुए है."
इसके बाद FATF की 15 सदस्यीय टीम ने 29 अगस्त से 2 सितंबर तक पाकिस्तान का दौरा किया, और सरकारी बैंक, वित्त मंत्रालय सहित पाकिस्तान की वित्तीय व्यवस्था से संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की, जिसके बाद उसने देश पर एक ऑनसाइट रिपोर्ट तैयार की.
इस टीम में यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, ईयू और अन्य के अधिकारी शामिल थे. टीम पेरिस में अगले सप्ताह पूर्ण सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और उस पर चर्चा की जाएगी. उस बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार करेंगी.
पाकिस्तान धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने के कारण जून 2018 से ही पेरिस स्थित एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना हुआ है. निर्धारित लक्ष्यों को अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए उसे एक कार्य योजना दी गई थी लेकिन उसमें पाकिस्तान नाकाम रहा था. एफएटीएफ के आदेशों का पालन करने में विफल होने के कारण पाकिस्तान तब से लेकर अब तक उस ‘ग्रे सूची' में ही बना हुआ है.