- अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस्तानबुल में हुई सीजफायर वार्ता बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई है.
- दोनों देशों ने शांति वार्ता के विफल होने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है.
- तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को नियंत्रित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर जो बातचीत जारी थी, वह बिना किसी समाधान के खत्म हो गई है. इस मामले से जुड़े दो सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि इस्तानबुल में दोनों देश किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं. इस महीने हुई जानलेवा झड़पों के बाद यह इलाके में शांति के लिए एक झटका है. ठीक एक दिन पहले ही पाकिस्तान सेना ने कहा था कि अफगानिस्तान ने हमले में उसके पांच सैनिकों को मार दिया है. तुर्की और कतर की मध्यस्थता की वजह से दोनों देश शांति वार्ता की टेबल पर आए थे. अब जबकि यह समझौता असफल हो गया है तो देखना होगा कि क्या दोनों मुल्कों के बीच खुला युद्ध होगा जैसा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था.
एक दूसरे को बताया जिम्मेदार
पाकिस्तान बातचीत का मकसद दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच पक्की शांति लाना था. दोनों मुल्क पिछले दिनों बॉर्डर पर सबसे ज्यादा हिंसक झड़प में आमने-सामने थे. साल 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता संभाली थी और तब से यह हिंसा का सबसे बुरा दौर था. इसमें बॉर्डर पर दोनों तरफ से दर्जनों लोगों की मौत हुई थी. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अफगान और पाकिस्तानी सूत्रों ने बताया कि दोनों 19 अक्टूबर को दोहा में हुए सीजफायर पर राजी हो गए थे. लेकिन इस्तानबुल में तुर्की और कतर की मध्यस्थता में हुई बातचीत के दूसरे राउंड में कोई आम सहमति नहीं बन पाई. दोनों मुल्कों ने शांति वार्ता की नाकामी के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है.
टीटीपी को कंट्रोल नहीं कर सकते
पाकिस्तानी सुरक्षा सूत्र के अनुसार तालिबान ने टीटीपी यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को नियंत्रित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. टीटीपी, पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन है. पाकिस्तान की सरकार और सेना का कहना है कि वह अफगानिस्तान के अंदर बिना किसी रुकावट के काम कर रहा है. वहीं अफगान सोर्स का कहना है कि इस मसले पर 'तनावपूर्ण बातचीत' के बाद हर संभावना अब खत्म हो गई. अफगानिस्तान का कहना है कि उसका टीटीपी पर कोई नियंत्रण नहीं है. टीटीपी ने हाल के हफ्तों में पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले किए हैं.
ख्वाजा आसिफ की धमकी
अक्टूबर में झड़पें इस महीने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और दूसरी जगहों पर पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद शुरू हुईं, जिसमें पाकिस्तानी तालिबान के प्रमुख को निशाना बनाया गया था. तालिबान ने 2,600 किमी वाले बॉर्डर पर पाकिस्तान की मिलिट्री पोस्ट्स को निशाना बनाया था. बातचीत में आई इस रुकावट ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ध्यान खींचा है. इससे तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान और परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर दबाव पड़ सकता है. शनिवार को, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि अफगानिस्तान शांति चाहता है लेकिन इस्तान्बुल में अगर समझौता नहीं हुआ तो फिर इसका मतलब 'खुली जंग' होगा.













