पाकिस्तान सरकार के खिलाफ पीओके से उठी बगावत की आवाज दिन बीतने के साथ बुलंद होती जा रही है. पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबल इस विद्रोह को कुचलने के लिए अपने ही लोगों पर गोलियां चलाने से भी नहीं हिचक रहे हैं. हिंसक प्रदर्शनों में बुधवार को 8 लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए.
NDTV को सूत्रों ने बताया कि इन 8 लोगों में से 4 की मौत बाग जिले के धीरकोट में हुई है. वहीं मुजफ्फराबाद और मीरपुर में 2-2 लोगों की मौत हुई. इससे पहले मंगलवार को मुजफ्फराबाद में दो लोग मारे गए थे. इन्हें मिलाकर पिछले दो दिनों में 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
पीओके इस वक्त बगावत की आग में सुलग रहा है. यहां के वाशिंदों में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. मूलभूत अधिकार पाने के लिए भी लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. संयुक्त अवामी एक्शन कमिटी (JAAC)की अगुआई में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं. बाजार, दुकानों और उद्योग-धंधे पूरी तरह बंद हैं. परिवहन सेवाएं भी ठप पड़ी हुई हैं.
बुधवार को आंदोलनकारियों ने मुजफ्फराबाद में बड़ा मार्च निकाला. इसमें कई शहरों के हजारों लोग जुटे. उन्हें रोकने के लिए प्रशासन ने पुलों पर शिपिंग कंटेनर रखकर रास्ता रोक दिया ताकि प्रदर्शनकारी आगे न बढ़ सकें. लेकिन गुस्साई भीड़ नहीं रुकी. लोगों ने जमकर पथराव किया. इतना ही नहीं, रास्ता रोकने के लिए लगाए गए कंटेनरों को नदी में फेंक दिया.
पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कई शहरों में प्रदर्शन हुए. बाग जिले के धीरकोट में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने लोगों की भीड़ पर आंसू गैस छोड़ी और फायरिंग कर दी. इसमें चार लोगों की मौत हो गई. दो लोग मीरपुर के डडयाल और कोहाला के पास चमयाती गांव में मारे गए. दो लोगों की मौत मुजफ्फराबाद में हुई. पिछले तीन दिनों से जारी इस विद्रोह में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है.
सेना और सुरक्षाबल तमाम कोशिशों के बावजूद अवाम की आवाज को चुप नहीं करा पा रहे हैं. मुजफ्फराबाद मार्च जारी है. कई जगहों से लोगों को जत्थे मुजफ्फराबाद पहुंचने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की 38 मांगें हैं. इसमें पीओके असेंबली में पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को खत्म करना भी शामिल है. आंदोलनकारी पाकिस्तानी आईएसआई समर्थित मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को आतंकी संगठन घोषित करने की भी मांग कर रहे हैं.
JAAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा कि हमें पिछले 70 साल से अधिक समय से मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. ये आंदोलन उसी के लिए है. अब या तो हमारी मांगों को पूरा किया जाए या फिर लोगों के गुस्से का सामना करें. उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को भी चुनौती देते हुए कहा कि यह मार्च 'प्लान ए' है. यह संकेत है कि जनता के सब्र का बांध अब टूट चुका है. प्रशासन को अब सतर्क हो जाना चाहिए. प्रशासन नहीं माना तो हमारे पास JAAC बैकअप प्लान भी है. इसमें प्लान-D बहुत भयंकर होगा.
पाकिस्तान सरकार इस विद्रोह को कुचलने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस्लामाबाद से 1000 सैनिक पीओके भेजे गए हैं. इलाके में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. सेना और सुरक्षाबल मिलकर फ्लैग मार्च कर रहे हैं. हालांकि पीओके से उठी बगावत की इस आवाज की गूंज अब विदेशों तक पहुंच रही है. फ्रेंड्स ऑफ JAAC नाम के एक संगठन ने गुरुवार को लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.