70 साल पुरानी इबादतगाह को गिराया, कब्रों को तोड़ा... पाकिस्‍तान में अहमदिया समुदाय पर जुल्‍म की इंतेहा

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बुटाला शर्म सिंह नाम का एक गांव है, यहां अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय की 70 साल पुरानी इबादतगाह थी. पुलिस ने इसे ध्‍वस्‍त कर दिया और दो कब्रों पर लगे पत्थर भी तोड़ दिए गए. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • पाकिस्तान के एक गांव में 70 साल पुराने अहमदिया समुदाय के इबादतगाह को पुलिस ने ध्वस्त कर दिया है.
  • पुलिस ने इबादतगाह के मेहराब के साथ-साथ पास के कब्रिस्तान की दो कब्रों पर लगे पत्थर भी तोड़ दिए हैं.
  • जमात-ए-अहमदिया का दावा है कि यह कार्रवाई चरमपंथियों के दबाव में की गई और उन्‍होंने इसे अवैध बताया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

पाकिस्‍तान से आने वाली कई तस्‍वीरें उसकी इंसानियत और धार्मिक आजादी के दावे पर सवाल खड़े करती रही है. एक बार फिर ऐसी ही तस्‍वीरें सामने आई हैं, जिन्‍होंने पाकिस्‍तान की हकीकत को एक बार फिर बेपर्दा कर दिया है. साथ ही यह तस्‍वीर बताती है कि अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ पाकिस्‍तान में जुल्‍म की इंतेहा हो चुकी है और यह कुछ सिरफिरे लोगों का काम नहीं बल्कि पाकिस्‍तान की पुलिस और प्रशासन की ओर से किया जा रहा है.  

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर एक गाँव है, बुटाला शर्म सिंह. यहां अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय का एक इबादतगाह था. यह इबादतगाह पूरे 70 साल पुरानी थी, लेकिन मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. पुलिस की एक टीम वहां पहुंची और उस 70 साल पुराने इबादतगाह के 'मेहराब' यानी मुख्य हिस्से को ध्वस्त कर दिया, लेकिन बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी. पुलिस की टीम पास के कब्रिस्तान में भी घुस गई और दो कब्रों पर लगे पत्थर तोड़ दिए. 

चरमपंथियों के दबाव में किया: जमात-ए-अहमदिया

अहमदिया समुदाय की प्रतिनिधि संस्था, जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान का कहना है कि ये सब कुछ चरमपंथियों के दबाव में किया गया. उनके प्रवक्ता अमीर महमूद ने इसे एक 'अवैध कार्रवाई' बताया. उनका कहना है कि पुलिस का काम तो सभी नागरिकों के धार्मिक स्थलों की रक्षा करना होता है, चाहे उनका विश्वास कुछ भी हो. 70 साल पुरानी इबादतगाह को इस तरह तोड़ना सरासर नाइंसाफी है. 

इस मामले में पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि उस इबादतगाह और कब्रों के पत्थरों पर कुछ इस्लामी आयतें लिखी हुई थीं. कई स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी. पुलिस का दावा है कि उन्होंने पहले अहमदिया समुदाय को खुद ही इन आयतों को हटाने के लिए कहा था, लेकिन जब उन्होंने ऐसा नहीं किया तो पुलिस ने 'अपने स्तर पर' कार्रवाई की.

अहमदिया समुदाय पाकिस्‍तान में 'गैर मुस्लिम' घोषित

आप सोच रहे होंगे कि इस्लामी आयतें लिखने पर इतनी बड़ी आपत्ति क्यों? यहीं इस पूरे मामले की जड़ छिपी है. असल में, अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है और इस्लाम के सभी रीति-रिवाजों का पालन करता है, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने एक कानून पास करके इस पूरे समुदाय को 'गैर-मुस्लिम' घोषित कर दिया गया. बस इसी एक कानून की वजह से पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लिए खुद को मुसलमान कहना या इस्लामी प्रतीकों का इस्तेमाल करना एक कानूनी जुर्म बन गया है. इसी कानून की आड़ लेकर अक्सर उनके धार्मिक स्थलों और कब्रों को निशाना बनाया जाता है. 

70 साल से मौजूद एक इबादतगाह को सिर्फ इसलिए तोड़ दिया गया क्योंकि एक देश का कानून ये तय करता है कि कौन मुसलमान है और कौन नहीं. ये घटना सिर्फ एक इमारत के टूटने की नहीं है, बल्कि ये भरोसे के टूटने की, इंसानियत के हारने की और धार्मिक स्वतंत्रता के खत्म होने की कहानी है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Canada News: पंजाबी उद्योगपति Darshan Singh Sahsi की कनाडा में हत्या, Lawrence Gang ने ली जिम्मेदारी
Topics mentioned in this article