रिक्टर स्केल पर 6 तीव्रता के भूकंप से सुबह-सुबह कांपा नेपाल, बिहार के कई जिलों में महसूस किए गए झटके

भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था, भूकंप से अब तक किसी नुकसान या किसी के हताहत होने की खबर नहीं

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
काठमांडू:

Nepal earthquake: नेपाल में रविवार को सुबह सुबह 8.13 बजे रिक्टर स्केल पर 6.0 तीव्रता का भूकंप आया. राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र (NEMRC) के अनुसार यह भूकंप नेपाल के काठमांडू से 147 किलोमीटर पूर्व में खोतांग जिले के मार्टिम बिरता के आसपास आया. पूर्वी नेपाल में भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर 27.14 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 86.67 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था. भूकंप से अब तक किसी नुकसान या किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

नेपाल में आए भूकंप के झटके बिहार के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने यह जानकारी दी. प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, बिहार के कटिहार, मुंगेर, मधेपुरा और बेगूसराय में झटके महसूस किए गए. अधिकारियों ने कहा कि भूकंप के कारण किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई सूचना नहीं है. 

नेपाल में हाल ही में आए भूकंपों से बड़ी संख्या में जनहानि हुई है और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है. इससे ऐसी आपदाओं के प्रबंधन के लिए अच्छी तरह से तैयार किए गए नीतिगत उपायों की मांग बढ़ गई है.

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नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर के बीच रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था. अनुमान है कि इसमें 8,964 लोग मारे गए थे और 22,000 लोग घायल हुए थे. इस भूकंप को गोरखा भूकंप के रूप में जाना गया. इसने उत्तर भारत के कई शहरों को भी हिला दिया था. इस भूकंप से पाकिस्तान के लाहौर, तिब्बत के ल्हासा और बांग्लादेश के ढाका तक में झटके महसूस किए गए थे.

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इस भूकंप के बाद काठमांडू के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को बंद कर दिया गया था. भूकंप के कारण माउंट एवरेस्ट पर भी हिमस्खलन हुआ था जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद 12 मई 2015 को एक बड़ा आफ्टरशॉक हुआ था. इस भूकंप का केंद्र काठमांडू और माउंट एवरेस्ट के बीच चीनी सीमा के पास था. यह अनुमान लगाया गया था कि इस भूकंप में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और 2,500 से अधिक घायल हुए थे.

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सन 1934 में नेपाल को सबसे भयानक भूकंप का सामना करना पड़ा था. इसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 8.0 मापी गई थी. इस आपदा ने काठमांडू, भक्तपुर और पाटन के शहरों को नष्ट कर दिया था.

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पता चला है कि भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे 5 सेमी प्रति वर्ष की दर से कम हो रही है. इससे क्षेत्र में भूकंप का खतरा बना रहता है. अगर तैयारी पर्याप्त नहीं है तो भूकंप जैसी आपदाएं कहर बरपा सकती हैं.

देश में जम्‍मू-कश्‍मीर से दिल्‍ली-NCR तक महसूस किए गए भूकंप के झटके

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