जम्मू-कश्मीर में सियासी सिस्टम कभी पूरी तरह से पूरा होता नजर नहीं आता. वहां राज्यपाल शासन तो लगा ही था, अब विधानसभा भी भंग कर दी गई है. राज्यपाल कह रहे हैं कि हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए उन्हें ये फैसला करना पड़ा. ऐसे में कुछ सवाल भी उठने लाजमी हैं. क्या जम्मू-कश्मीर का फैसला 2019 से ताल्लुक रखता है? क्या जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को बदलने का यह मकसद था? अब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया का क्या होगा? क्या बीजेपी के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में महागठबंधन बन सकता है? मुकाबला में इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश.