भारत की राजनीति में खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाट एक बेचैन आत्मा हैं. चौधरी चरण सिंह के उभार के साथ या महेंद्र सिंह टिकैत के दबदबे तक जाट किसान पहचान के साथ अपनी दावेदारी करते रहे, जिसमें पिछड़ी जाति की दावेदारी का भी एक रंग दिखता है. मंडल आयोग के बाद पिछड़ी जाति की राजनीति का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं के पास चला जाता है और जाट दोनों तरफ से रह जाते हैं. राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह, चौधरी चरण सिंह की विरासत को लेकर लंबे समय तक राजनीति करते रहे. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ. इस बार अजित सिंह पुरानी स्मृतियों के जरिये फिर से कुछ सीटें हासिल करने की कोशिश में हैं.