अगर कोई सरकार ग़रीब बच्चों को आईएएस, पीसीएस की नौकरियों के लिए मुफ़्त में कोचिंग कराए तो इस बात का स्वागत होना चाहिए. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में ऐसा ही हो रहा है. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि प्रति बच्चे पर सरकार जितना पैसा कोचिंग इंस्टिट्यूट को दे रही है वो बाकी कोचिंग संस्थानों के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा क्यों है? सरकार ने इसके लिए जो टेंडर दिए वो कम सर्कुलेशन वाले अख़बार में ही क्यों दिए. कहीं इसके ज़रिए सरकार के आसपास के किसी व्यक्ति के क़रीबियों को फ़ायदा पहुंचाने की मंशा तो नहीं?