देश ग़म और गुस्से में डूबा है. उसने अपने 40 जांबाज़ जवान खो दिए हैं. पीछे रह गई हैं इनके यादें, इनके परिवारों के दुख, उन आख़िरी लम्हों की टीसती हुई तक़लीफ़ जब उन्होंने आख़िरी बार अपने प्रियजनों से बात की या बात नहीं कर पाए. एनडीटीवी ने इन परिवारों के दुख को समझने की कोशिश की.