विजय माल्या को किसने मदद दी? किसने उसकी कंपनी के एनपीए हो जाने के बावजूद एक के बाद एक कर्ज दिलवाए? किसने उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की? क्या वाकई किसी ने उसे भागने में मदद दी? क्या किसी ने उसे यह आगाह कर दिया था कि उसके खिलाफ कार्रवाई होने वाली है? ये वे सारे सवाल हैं जो आज हवाओं में तैर रहे हैं. विजय माल्या पर राजनीतिक हंगामा कल शुरू हुआ जब उसने लंदन में कहा कि भारत से भागने से पहले उसने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि वो लंदन जा रहा है. जेटली ने तुरंत ही माल्या के दावे को खारिज कर दिया और साफ कहा कि माल्या से उनकी कोई बैठक नहीं हुई और संसद भवन में चलते-चलते जब माल्या ने उनसे बात करने की कोशिश की तो उन्होंने उसे झिड़क कर कहा कि बैंकों से बात करें. लेकिन यह तूफान अभी थमा नहीं है.