छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद से लड़ने के लिए साल 2008 में डीआरजी का गठन किया गया था. बस्तर के 7 जिलों में नक्सलियों से मुकाबले के लिए गठित डीआरजी में स्थानीय युवक शामिल हैं. साथ ही आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली भी इसका हिस्सा हैं. ये जवान गुरिल्ला लड़ाई में माहिर होते हैं. स्थानीय होने की वजह से भौगोलिकता, भाषा सबमें माहिर होते हैं और ये छोटे टीम बना कर कार्रवाई को अंजाम देते हैं.