भारत की उच्च शिक्षा की हालत हंसने के लिए ही बची है. दो चार दस कॉलेज यूनिवर्सिटी को सेंटर फॉर एक्सलेंस का नाम देकर बाकी सबको कबाड़ में बदलने के लिए छोड़ दिया गया है. हमारी सीरीज़ से ये पता चल गया कि हमारे राजनेता बड़े ज़िद्दी हैं. किसी ने भी उच्च शिक्षा की इस ख़राब हालत पर नहीं बोला. हमें इसी की उम्मीद थी, ख़ुशी भी हुई कि नहीं बोल रहे हैं. ये भरोसा उन्हें आपने दिया है. भारत के सैकड़ों कॉलेजों की हालत खंडहर से भी बदतर हो चुकी है, न आप बोले, न टीचरों ने बोला और न छात्रों ने बोला.