सोलहवीं लोकसभा भी आई और चली गई, लेकिन महिलाओं को संसद में एक तिहाई नुमाइंदगी देने की बात जुमलेबाज़ी से ऊपर नहीं गई. पिछली लोकसभा में हर दस पुरुष सांसदों में सिर्फ़ एक महिला सांसद थी. तब कसभा में महिला सांसदों की संख्या महज़ ग्यारह फीसदी थी. ये हाल सत्रहवीं लोकसभा में भी बदलने नहीं जा रहा... टीवी की बहसों में अक्सर दिखने वाली बीजेपी की प्रवक्ता शायना एनसी ने ऐन चुनावों के वक़्त ये मुद्दा उठाया है. उन्होंने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए एक ट्वीट में कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को जागने की ज़रूरत है. महिलाएं कुल मतदाताओं का 50 फीसदी हैं. ये जानकर दुखी और हैरान हूं कि ममता बनर्जी, जिन्होंने महिला उम्मीदवारों को 41 फीसदी सीटें और नवीन पटनायक जिन्होंने महिला उम्मीदवारों को 33 फीसदी सीटें दी हैं उनके अलावा बाकी सभी पार्टियों ने हमारे मुद्दे पर सिर्फ़ ज़ुबानी जमाखर्च किया है.