जरा सोचिए, ना-ना करते आ रहे चीन को मनाने के लिए अमेरिका आगे आए और दुनिया भर के देश भारत का खुल कर समर्थन करें. जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को लेकर यही हुआ. कई बार टांग अड़ा चुका चीन फिर कह रहा था कि चूंकि भारत में चुनाव चल रहे हैं इसलिए मसूद अजहर पर फैसला चुनाव के बाद ही हो ताकि चुनाव पर इसका असर न पड़े. लेकिन अमेरिका नहीं माना. उसने फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के साथ मिल कर चीन को तैयार किया कि वह इस बार वीटो न करे और फैसला अभी किया जाए. इसके बाद 2009 में जो काम शुरू हुआ उसे दस साल बाद अंजाम दिया गया यानी मसूद अजहर को संयुक्त राषट्र ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मान लिया. चीन चाहे या न चाहे, मगर हकीकत यह है कि चुनाव में यह मुद्दा बन चुका है. पहले से ही राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा को मुद्दा बना चुकी बीजेपी इसे लेकर बेहद आक्रामक है. बुधवार रात जयपुर में पीएम मोदी ने जैसे ही इसका जिक्र किया वैसे ही जबर्दस्त नारेबाजी हुई.