कमाल खान नहीं रहे. वही कमाल खान जिन्हें टेलीविजन पर आप करीब दो दशक से लगातार देखते रहे हैं. कई लोग उनकी आवाज को सुनकर लोग बड़े हुए हैं, पत्रकारिता में भी और दर्शकों में भी. दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. यह हम सबके लिए बहुत बड़ी क्षति है. एनडीटीवी के एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रियदर्शन ने कमाल खान के निधन को लेकर कहा कि कमाल खान की कॉपी देखना पत्रकारिता के प्रशिक्षण से गुजरने जैसा होता था. वे जटिल से जटिल खबरों को सहजता और आसान शब्दों के साथ रखते थे. साथ ही खबरों में संवेदना का गहरा पुट होता था.