वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाना में पूजा पाठ किये जाने संबंधी मुक़दमे में बुधवार को कोर्ट ने हिन्दू पक्ष को पूजा का अधिकार देने का फ़ैसला दिया है. वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मंगलवार को हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्ष की तरफ से बहस पूरी कर ली गई थी. आज ज़िला जज डॉ एके विश्वेश रिटायर भी हो रहे हैं.
ज्ञानवापी मस्ज़िद में एक तहखाना है, जिसमें एक देवता के विग्रह की पूजा का काम सोमनाथ व्यास किया करते थे. दिसंबर 1993 में राज्य की मुलायम सिंह यादव सरकार के मौखिक आदेश पर तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाते हुए तहखाने को सील कर दिया गया. बाद में इसकी बेरिकेटिंग भी कर दी गई.
व्यास जी यानी सोमनाथ व्यास ने अपने 2 साथियों रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय के साथ मिलकर ज्ञानवापी परिसर में रकबा संख्या 9130, 1931 और 1932 के अधिकारी सम्बन्धी याचिका डाली. इस याचिका में अराजी नम्बर 9130, 31,32 को आदि विशेश्वर की संपत्ति बताई गई. 1993 से तहखाना बन्द रहा और कस्टोडियन के तौर पर वाराणसी के ज़िलाधिकारी के पास तहखाने की चाभी रखी रही। साल 2016 में सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक ने वाराणसी कोर्ट में याचिका डालकर अपनी संपत्ति वापस मांगी.