राजधानी में घर में काम करने वालों की मांग इतनी ज्यादा है कि लोग न तो प्लेसमेंट एजेंसियों के बारे में जानकारी इकट्ठी करते हैं और न ही काम करने वाले को वैरीफाई करवाते हैं।
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