नागरिक जीवन के तानव सिर्फ दाम और नौकरी के नहीं हैं. दंगों के भी हैं. करीब 11 महीने तक बिना सबूत के जेल में बंद कर दिए गए उन ग़रीब लोगों पर क्या गुज़री होगी. गोली मारने के नारे लगाने वाले से पूछताछ तक नहीं होती है लेकिन तीन ग़रीब बिना सबूत के दंगों के आरोप में उठाकर जेल में बंद कर दिए जाते हैं. जुनैद, इरशाद और चांद मोहम्मद के लिए भारत के युवा साठ लाख ट्वीट नहीं करेंगे, ये मैं जानता हूं. दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्हें 19 फरवरी को ज़मानत दी, प्रक्रियाएं इतनी जटिल हैं कि बाहर आते-आते 19 से 24 फरवरी हो गया. जिस इमारत पर होने के आरोप में चांद मोहम्मद, जुनैद और इरशाद को गिरफ्तार किया गया, तीनों उस इमारत पर थे ही नहीं. उमर खालिद भी तो दिल्ली से बाहर थे, जेल में हैं, साज़िश रचने के आरोप में. परिमल कुमार की यह रिपोर्ट आप देख सकते हैं.