हाल की ग्रीनपीस रिपोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली एनसीआर के इलाकों की ज़हरीली हवा पर रोशनी डाली है. अखबार की सुर्खियों और टेलिविज़न की स्क्रीन के बाहर भी क्या दिल्ली एनसीआर के हवा पानी में घुलते ज़हर की लोगों को चिंता है. और अगर है तो क्या आम नागरिक इसके लिए कुछ कर सकते हैं. अगर नागरिक चाहे तो कुछ भी कर सकता है. सरकार को नीतियां बदलने पर मजबूर कर सकता है और न बदले, तो सरकार को ही बदल सकता है. अपने शहर के पर्यावरण को बचाना सिर्फ एक्टिविस्ट या वैज्ञानिकों की ज़िम्मेदारी नहीं हैं. उस शहर में रहने वाले हर इंसान की ज़िम्मेदारी है. स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम दिल्ली वालों को कुछ ऐसा ही सबक दे रही है.