एक ईमेल आया है कि अगर मैं स्कूलों पर जनसुनवाई एक महीना तक करता रहूं तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि स्कूल नेताओं और अधिकारियों के होते हैं. अदालतों के आदेश भी नहीं मानते. मैं स्वीकार करता हूं कि उनकी यह बात सही है, लेकिन आज न कल नेताओं को स्कूलों की मनमानी के सवाल पर आना होगा.