बेरोज़गारी विस्फोटक हो गई है. इसे फटने से धर्म का मुद्दा ही बचा सकता है क्योंकि उसी में इन नौजवानों को भटकाने की ताकत है. सांप्रदायिक होने के सुख के सामने बेरोज़गार होने का दुख कुछ भी नहीं है. इसलिए हर चुनाव में बेरोज़गारी का मुद्दा फुस्स हो जाता है.