किसान आंदोलन सिर्फ बातचीत और फैसले का आंदोलन नहीं है. 58 दिन हो चुके हैं दिल्ली की सीमा पर किसानों को बैठ हुए. इन 58 दिनों की कई सफलताएं है. किसी भी आंदोलन के लिए यह सबक की तरह है कि कैसे इस आंदोलन ने धीरज और अनुशासन का सहारा लेते हुए सरकार के साथ सीधे संवाद को बनाए रखा है. सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया भी लेकिन बातचीत का रास्ता नहीं बंद किया. निश्चित रूप से सरकार ने भी अपनी तरफ से धीरज दिखाया है. यही कारण है कि 10 दौर की नाकाम बातचीत चलती रही है.