अंधेरों की हज़ार परतें इंसाफ़ की हवा की दिशा नहीं रोक सकती हैं. सत्ता के दम पर 22 साल की एक लड़की को डराने का अहंकार आज एक फैसले की कॉपी में चूरचूर होकर बिखरा पड़ा है. सत्ता इससे सबक नहीं लेगी लेकिन पुलिस के अफसरों को लगा कर गोदी मीडिया की फौज खड़ी कर इस मुल्क, जिसका नाम भारत है, उसमें एक 22 साल की लड़की को जिस तरह घेरा गया और उसका मुकाबला इस 22 साल की लड़की ने किया है वही दिशा है. सिर्फ उसका नाम दिशा नहीं है बल्कि वाकई वह दिशा है. जब उसने 20 फरवरी को भरी अदालत में कह दिया कि किसानों की बात करना गुनाह है तो वह जेल में रहना चाहेगी. जेल के इसी डर से गांधी ने भारत को आज़ाद कराया था, दिशा गांधी नहीं है न हो सकती है मगर जेल के डर से अपनी पीढ़ी के नौजवानों को आज़ाद करा रही है. गोदी मीडिया के सहारे विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाला भारत आज की रात फैसले की कॉपी पढ़ेगा जिसे जज धमेंद्र राणा ने कलमबंद किया है कि गुरु बना जाता है इंसाफ़ से. न्याय से और सत्य के साथ खड़े होकर न कि झूठ का बाज़ार बिछा कर.