अनुभवों की पीठ पर आशंकाओं का बोझ इतना भारी है कि जब भी भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिलते हैं, तो नई शुरुआत की तस्वीर झलकती है। ये और बात है कि यह नई शुरुआत कई बार हो चुकी है। आज प्राइम टाइम में भारत-पाक संबंध पर एक खास चर्चा और यह समझने की कोशिश की क्या 2014 का जनादेश वाकई भारत पाकिस्तान संबंधों को आमूल-चूल रूप से बदलने जा रहा है?