बाढ़ का मीडिया कवरेज़ देखिये तो आप भी महसूस करेंगे कि बाढ़ की रिपोर्टिंग थकने लगी है. बाढ़ को लेकर किस नए एंगल से कवर किया जाए, यह चुनौती विकराल होती जा रही है. यही कारण है कि बाढ़ की रिपोर्टिंग रूटीन हो चली है. इसमें ग़लती रिपोर्टर की नहीं है, उस सिस्टम की है जो बाढ़ को सिर्फ राहत और बचाव कार्य ही समझता है. पानी घटता है और फिर सारी चीज़ें सामान्य हो जाती हैं.