प्राकृतिक आपदाएं पहले भी आ चुकी होती हैं, दिक्कत ये है कि जब तक वे दोबारा लौट कर नहीं आतीं, हमें ख़्याल भी नहीं होता कि इस बीच कुछ किया जाना है। चेन्नई बाढ़ के दौरान आपने देखा होगा, तमाम तकनीकी क्षमताओं से लैस लोग किस तरह असहाय घूम रहे थे। हम इस कदर अपने समाज से कट गए हैं कि कई बार इन आपदाओं को व्यक्त करने वाले शब्दों को भी भूल जाते हैं।