तमाम सरकारी नीतियों पर बोलने वाला आर एस एस न तो अपने स्वयंसेवकों की भूमिका पर सार्वजनिक रूप से बोल रहा है न व्यापमं पर। तब भी जब इसकी लड़ाई लड़ने वालों में से कई लोग उसी की विचारधारा और संगठन क्षमता में प्रशिक्षित हैं। आखिर व्यापमं पर संघ क्यों चुप है?