नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के मुद्दे ने दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य इलाकों के सर्द मौसम को भी गर्माया हुआ है. इनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का आलम ये है कि दिसंबर की सर्द रातें भी उन्हें ठंडा नहीं कर पाईं. दिल्ली के जामिया नगर के क़रीब शाहीन बाग में तो कई महिलाएं बीते 16 दिनों से नागरिकता क़ानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में डटी हुई हैं. इनमें छोटी बच्चियों से लेकर नब्बे साल तक की बुज़ुर्ग महिलाएं तक शामिल हैं. उनका मानना है कि ये क़ानून इंसाफ़ नहीं करता और संविधान की भावना के भी ख़िलाफ़ है. महिलाएं अपने घरों का काम निपटा कर इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचती हैं. कुछ महिलाएं जो अपने छोटे बच्चों को घर में अकेला नहीं छोड़ सकती वो उन्हें लेकर यहां मोर्चे पर डटी हुई हैं. कई महिलाएं पहली बार ऐसे किसी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बन रही हैं. उन्हें लगता है कि अगर वो आगे नहीं आईं तो उनकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है. इसी जज़्बे के साथ नए साल का स्वागत बीती आधी रात को उन्होंने राष्ट्रगान और भारत माता की जय के नारों के साथ किया.