2014 के बाद मीडिया के ज़रिए जो नेशनल सिलेबस लांच हुआ, जिसके किसी भी चैप्टर का यही थीम होता था कि बात हिन्दू मुस्लिम डिबेट तक कैसे पहुंचे. दुनिया भर में इस बात का अध्ययन किया गया है कि मीडिया ने किस तरह से मुसलमानों की छवि गढ़ी है. भारत में भी पिछले पांच सालों में देखा जाना चाहिए कि मीडिया ने हिन्दू मुस्लिम डिबेट के ज़रिए राजनीति में मुसलमानों की कैसी छवि गढ़ी है. उनके साथ क्या किया है. आप देखेंगे कि लगातार उसका खलनायकीकरण हुआ है. चुनाव आयोग ने जिन चार बड़े नेताओं के बयान के कारण उनके प्रचार पर रोक लगाई है, उनमें से तीन का संबंध मुसलमानों से हैं.