प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में हास्य-विनोद कम हो गया है। इसीलिए संसद में लंच ब्रेक के साथ हंसी ब्रेक भी हो या फिर प्रश्नकाल शून्य काल की तरह हंसी विनोद काल भी हो। क्या प्रधानमंत्री को सिर्फ संसद में हास्य विनोद की कमी दिखती है। क्या उन्हें देश में इसकी कमी नहीं दिखती। वे कब-कब हंसते हैं और वे कब-कब नहीं हंसते हैं। क्या हम ज्यादा गंभीर हो गए हैं...