अरुणाचल के पहले उत्तराखंड में भी राष्ट्रपति शासन को रद्द किया गया था. तब नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति कोई राजा नहीं होते जिनके फैसलों की समीक्षा नहीं हो सकती है. राष्ट्रपति और जज दोनों से भयानक ग़लतियां हो सकती हैं. जब राष्ट्रपति राजा नहीं हो सकता तो ज़ाहिर है राज्यपाल सम्राट नहीं हो सकता. उस फैसले को लिखने वाले थे जस्टिस के एम जोज़फ़ जिनकी सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति कई दिनों तक अटकी रही. नैनीताल हाई कोर्ट के जस्टिस यू सी ध्यानी ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था जिसे केंद्र सरकार ने नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी थी कि राष्ट्रपति शासन के वक्त फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है. मगर 21 अप्रैल 2016 को जस्टिस जोज़फ़ और जस्टिस बिष्ट ने फ्लोर टेस्ट के आदेश को सही ठहराया और हरीश रावत की सरकार से कहा था कि 29 अप्रैल 2016 को बहुमत साबित करें. फिर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली. 10 मई 2016 को उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए गए. यानी सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकता है और तारीख भी बता सकता है कि फ्लोर टेस्ट कब होगा.