हम और आप जब भी किसी सांसद या विधायक को देखते हैं तो हमेशा उसे सत्ता पक्ष या विपक्ष के प्रतिनिधि के रूप में देखते हैं। लेकिन लोकसभा या विधानसभा अपने सदस्यों को सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं देखती है। सदन की कल्पना इस पर आधारित है कि विधायक या सांसद उसके भीतर जनता की आवाज़ हैं। सदन में जो सदस्य मंत्री हैं सिर्फ उन्हें ही सरकार की आवाज़ या प्रतिनिधि माना जाता है। संविधान ने ऐसी कल्पना की है कि विधायक या सांसद सरकार के किसी भी प्रकार के प्रभाव में न आए।