पत्रकारिता में चाटुकारिता करने वालों के लिए बुरी ख़बर है. अबतक चाटुकारिता को सबसे आसान बीट माना जाता था, लेकिन हर माल को सस्ता बनाकर बेचने वाले चीन ने चाटुकारिता को महंगा यानी मुश्किल बना दिया है. चीन में राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होने जा रही है जिसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग के राजनीतिक विचारों और मार्क्सवाद से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे. जो इस परीक्षा में पास होगा उसी को प्रेस कार्ड मिलेगा. इस खबर को सुनकर भारत के पत्रकारों को घबराने की ज़रूरत नहीं है. एक तो ऐसी कोई परीक्षा नहीं हो रही है और अगर हो भी गई तो परीक्षा का रिज़ल्ट आने में ही चार पांच साल लग जाएंगे. रिज़ल्ट आने से पहले प्रश्न पत्र लीक हो जाएगा और फिर सब कोर्ट में पहुंच जाएगा. भारत में बग़ैर पढ़े लिखे, किसी मेहनत के ही कई पत्रकार चमचा शिरोमणी बने घूम रहे हैं. यहां तो नाम जप कर ही काम हो जाता है लेकिन चीन में परीक्षा देनी होगी.