भारत के चंद कामयाब एथलीटों को छोड़ दें तो ज्यादातर खिलाड़ी नौकरी के लिए भटकते नजर आते हैं. भारत में हर साल हजारों खिलाड़ी पहले नौकरी के लिए जूझते हैं. फिर तीस पैंतीस साल की उम्र में मैदान छोड़कर दफ्तर गए तो वो नौकरी की रेस में दूसरों से जूझते हुए नजर आते हैं. ऐसे में अब उन्हें कॉर्पोरेट हुनर सिखाने की तैयारी है.