पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में आज एक ख़ास दिन है. सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में देश के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को भी सूचना के अधिकार के दायरे में ला दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने ये अहम फ़ैसला दिया है. संविधान पीठ ने इसी साल चार अप्रैल को इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. वैसे चीफ जस्टिस के दफ्तर को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने से जुड़े इस फ़ैसले का रास्ता इतना आसान नहीं था. इस मामले में साल 2010 में सबसे पहले दिल्ली हाइकोर्ट ने फैसला दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का दफ्तर सूचना के अधिकार के दायरे में आता है. तब कहा गया था कि न्यायिक स्वतंत्रता किसी जज का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि उनकी ज़िम्मेदारी है. हाइकोर्ट ने तब सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री की इस दलील को खारिज कर दिया था कि चीफ जस्टिस का दायरा आरटीआई में लाने से न्यायिक स्वतंत्रता में बाधा आएगी.