अब तक के चुनाव प्रचार में व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप, सांप्रदायिक और यहां तक कि अश्लील भाषणों और टिप्पणियों का बोलबाला रहा है. बार-बार पूछा गया कि क्या चुनाव आयोग मूक दर्शक बन कर लोकतंत्र का तमाशा बनता देखता रहेगा. खुद चुनाव आयोग ने भी सुप्रीम कोर्ट के आगे बेबसी जाहिर की है. उसका कहना है कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर वह केवल नोटिस और एडवाइजरी ही जारी कर सकता है. न तो वो किसी को अयोग्य घोषित कर सकता है और न ही किसी पार्ट का पंजीकरण रद्द कर सकता है. अब सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई करेगा कि क्या वाकई चुनाव आयोग के पास कोई अधिकार नहीं हैं? सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को फटकार भी लगाई.