अप्रैल और मई की शुरुआत में देश का जो माहौल था उसे कोई भूल नहीं सकता. जिस पर बीती है, नर्क जो लोगों ने सहा, वह वे कैसे भुला देंगे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमने कोरोना की पहली लहर की चुनौती को लेकर कुछ एक्शन लिए लेकिन दूसरी लहर में हम सब ढीले पड़ गए. सरकारें ढीली पड़ गईं और उसका नतीजा हमने देख लिया. अब एक तीसरी लहर इसी तरह से घातक न हो उसकी कितनी तैयारी की है हमने? बेड, मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, अस्पताल, दवाई, ऑक्सीजन और इन सबको रोकने या कम करने के लिए एक रामबाण इलाज वैक्सीनेशन जरूरी है. क्या इस साल वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा होगा?