माता-पिता को उनकी ज़िन्दगी के आख़िरी लम्हों में बेटे-बेटियों ने सहारा नहीं दिया। ऐसे किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन क्या कभी सुना है कि कैंसर से लड़ रहे अपने ही बेटे को कोई मां-बाप अंतिम समय में मदद न करे और उसे कोर्ट जाकर मदद मांगनी पड़े। यक़ीन करना मुश्किल है लेकिन ऐसा हुआ है। अहमदाबाद से हमारे सहयोगी राजीव पाठक की ये रिपोर्ट देखिए, आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे।