झारखंड में भीड़ ही अदालत होती जा रही है. कभी धर्म के नाम पर किसी धर्म के ख़िलाफ तो कभी किसी के भी ख़िलाफ. कहीं हलीम और नईम को भीड़ ने मार दिया तो कहीं गौतम कुमार और गंगेश कुमार को भी भीड़ ने मार दिया. क्या ऐसा हो सकता है कि कोई समूह यह टेस्ट कर रहा हो कि अलग-अलग अफवाहों के कारण भीड़ किसी को मार सकती है या नहीं.